Wednesday, July 14, 2010

नीद थी तू कहा मै तड़पता रहा


ऐय भिस्ती ज़रा एक बूँद पिला ,
थोड़ी प्यास जगा थोड़ी प्यास बुझा,
अब तो बातें सभी अनकही ही रहीं ,
कोंई उनको बोला मेरे पास बिठा ,
जो जहेन मे सरे-आम घर कर गया ,
कोंई उनको बता क्या है मेरी खता ,
दिल सुलगता रहा रात भर याद मे ,
नीद थी तू कहा मै तड़पता रहा ,
धुप निकली सुबह शाम बारिश हूई ,
तिस्नगी को मेरे पर ना राहत हूई ,
सूखे पत्ते गिरे घर के आगन मेरे ,
मै पलटता रहा तेरा होगा पता ,
सब परिंदे उड़े आसमाँ की तरफ ,
शाख कमजोर है उनको अंदेसा था ,
रिश्तों के पौध को हमने सीचा बहुत ,
सायद बंज़र जमी थी वो पनपा नहीं ,
ऐय मौला मेरे तुझसे पूछू मै क्या ,
तुझको सब है पता ,तुझको सब है पता
तू बताएगा क्यों तो बताता नहीं ,
तू बताएगा क्यों तो बताता नहीं !!