सौ दर्द हैं!!!
राहतों का इंतजार है ...
Thursday, July 23, 2009
मेरी त्रिवेणी -2
धीरे-धीरे समेट लिये सारे रिश्ते उसने ,जेसे समेट लेता है कोंई ,
आँधी आने से पहले आगन मे सूख रहे कपडे !
बड़ी हसरत से ताकता रहा बादलो को , हाथ मे रेनकोट लेकर .
पर बेवफा इस सावन बरसात ही नहीं हुई !
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