Thursday, July 23, 2009

मेरी त्रिवेणी -2


धीरे-धीरे समेट लिये सारे रिश्ते उसने ,जेसे समेट लेता है कोंई ,

आँधी आने से पहले आगन मे सूख रहे कपडे !

बड़ी हसरत से ताकता रहा बादलो को , हाथ मे रेनकोट लेकर .

पर बेवफा इस सावन बरसात ही नहीं हुई !

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